डिनर टेबल पर हुई थी इस नई मिठास की खोज ➨
दुनिया के पहले कृत्रिम स्वीटनर सैकरीन की खोज का श्रेय अमेरिकी रसायांशास्त्री इरा रेमसन और कांस्टेटाईन फलाबर्ग को जाता है | यह वर्ष 1879 की बात है | उस समय रेमसन और फलाबर्ग कोलतार के एक व्युत्पाद ( टोलुइन ) पर शोध कर रहे थे | एक दिन वे प्रयोगशाला में देर तक काम करते रहे | घर जाने पर फलाबर्ग बगैर हाथ धोए ही डिनर टेबल पर खाना खाने बैठ गए |
उन्होंने ब्रेड का एक टुकड़ा लेकर जैसे ही मुंह में डाला , उन्हें यह कुछ मीठा लगा | वह समझ गए यह मीठापन उनके हाथ में लगे मिश्रण का है | उन्होंने आकर यह बात रेमसन को बताई , जो खुद भी खाने के दौरान इसका एहसास कर चुके थे | वर्ष 1880 में रेमसन और फलाबर्ग ने अपनी इस खोज को संयुक्त रूप से प्रकाशित किया | हांलाकी 1884 में फलाबर्ग ने अकेलेही सैकरीन का पेटेंट हासिल करते हुए व्यापक पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू कर दिया | जिससे रेमसन खफा भी हुए |
पहले विश्वयुद्ध के दौरान शक्कर की किल्लत होने पर लोगों ने व्यापक पैमाने पर सैकरीन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया | कैलोरी -मुक्त पदार्थ होने की वजह से 60 व 70 के दशक में डाइटिंग करने वाले लोगों के बीच भी इसकी लोकप्रियता बढ़ी |
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