आदतों का मनोविज्ञान (Psychology of habits) 




➢कुछ आदते इतनी अजीब व  घ्रणा बढाने वाली होती है की उस व्यक्ति की सामाजिक छवि को खराब कर देती है आदते यानी ऐसा स्वभाव जिसे हमने अकेले या तन्हाई में अपना दोस्त बना लिया | किसी की मदद करना ,हमेशा मीठी व सीधी-साधी भाषा में बोलना यकीनन बेहतर आदते है इनका तो जितना भी हो सके पोषण करते रहिये लेकिन वो आदते  जो की आपके  मित्रो को भी आपसे दूर-दूर कर देती है वो कुछ इस तरह की होती है |


दांत से नाख़ून काटना व उंगली चबाना (Tooth nail and chew finger)

                                     

➢यह आदत उन दबी भावनाओं को बताती है जो आप किसी से कहना नहीं चाहते मगर नाख़ून काटकर या उंगली की खाल चबा -चबा कर खुद से ही कुछ कुछ बदला लेते रहते है
उंगली चबाते समय आपकी लार या थूक का अंश आपकी उंगली में चिपकता रहता  है फिर उसी हाथ से आप किसी अखबार या कागज को पकड़ते है तो वह स्पर्श किसी को संक्रमण का शिकार भी बना देता है सफाई पसंद व्यक्ति से अगर सामना हो जाए तो वह तो कभी भी ऐसे व्यक्ति से बात भी नहीं करेगा जो बात कर नाख़ून चबाता हो |


हॉट चबाना , नाक में उंगली (Hot chew, finger in nose) 

                            

➢बात करते उपरोक्त तीनो हरकते अगर कोई कर रहा है तो श्रोता जो की उसके एकदम पास बैठा होगा तो वह उस व्यक्ति की बात का विषय समझ ही नहीं पायेगा क्योकि उसका ध्यान हॉट या कान या नाक पर की जाने वाली हरकतों पर होता हुआ भटकता रहेगा | कितनी खराब इमेज होती होगी कल्पना करके देखिये | हॉट चबाना सीधे सीधे ईर्ष्यालु प्रव्रति की  तरफ इंगित करता है | साथ ही नाक में उंगली वही लोग ज्यादा डालते है जो वर्तमान परिस्थिति से संतुष्ट नहीं होते जो हर वक्त बैचेन रहते है | कान में उंगली डालना मनोवैज्ञानिक भाषा में यौन - कुंठा का करना बताया जाता है |


पेन - पेन्सिल मुंह में डालकर चबाना (Pen - Pencil Chewed)

                          

➢यह आदते मिथ्या गर्व या अभिमान की परिचायक है | आत्म - मुग्ध व्यक्ति भी इसी तरह की आदतों का शिकार होते है | यह आदते हीनता की भावना से भी प्र्गट करती है | बाल बचाने का मनोविज्ञान अर्थ है , परिस्थितियो से हार जाना |



आदते क्यों लत बन जाती है (Why do people become addicts)➡


➢बार - बार पैर हिलाना , आँख झपकाना , फिर खुजाना , गले से आवाज निकालना यह आदते जब आपने पहले स्तर पर होती है तो बार - बार चेतावनी देती है मगर वह व्यक्ति अपने अहम भाव के कारन इन आदतों का गुलाम बन जाता है | अगर प्रारंभ में ही इन आदतों को परख लिया जाए तो इनकी लत नहीं पडती इस सम्बन्ध में मित्र व परिवार की मदद बहुत काम आती है | आदते छोड़ने के लिए वही सूत्र लागू होते है जो सूत्र इन्हें पालने के लिए लागू होता है | बार - बार ध्यान रखना व किसी ख़ास मित्र या सम्बन्धी को इसकी जिम्मेदारी सौपना ताकी वह आपको आगाह करते रहे और बुरी आदतों से पीड़ा जल्दी ही छुट जाए | व्यायाम , योगा व अध्ययन की अच्छी आदत का पालन करने से बुरी आदत छुट जायेगी |
                                                                                   

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