युद्ध के लिए ईजाद किया गया था अल्ट्रासाउंड/ultrasound (Ultrasound was invented for war)➨
बहुत कम लोगो को पता होगा की आज गर्भ में लड़की की पहचान के लिए दुनिया भर में जिस तकनीक का प्रयोग किया जाता है | उसका प्रयोग युद्ध के दौरान हुआ था |
चमगादड़ / Bat के बारे में जाने के लिए हुई यह खोज
उसका आविष्कार युद्ध के दौरान समुद्र में जहाजो को रास्ता बताबे के लिए किया जाता था | अल्ट्रासाउंड की कहानी करीब दो सौ साल पहले 1794 में शुरू हुई | एक इतावली जीवविज्ञानी/ Italian biologist यह जानने के लिए उत्सुक था की चमगादड़ अँधेरे में कैसे देख लेते है | उसने पाया की वे ध्वनी तरंगो/Sound wave के किसी चीज से टकराकर लौटने में लगने में लगने वाले समय के आधार पर दुरी का अंदाजा लगाते है इसी के आधार पर उन्होंने सोनार/Sonar नामक यंत्र ईजाद किया |
युद्ध में किया जाने लगा इसका प्रयोग / It was used in war-
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मन पनडुब्बियो की बढती ताकत से परेशान मित्र देशो को ऐसी युक्ति की जरूरत थी जिससे जहाज समुद्र के भीतर निशाने पहचान सके | इसके लिए वैज्ञानिक ने सोनार यंत्र / Sonar machine का प्रयोग किया | अमेरिकी , ब्रिटिश और फ्रांसीसी सरकारों ने पैसा लगाया और 1918 में मित्र देशो की सेनाए जर्मन यू-बोट्स / U-Boats का पता लगाने के लिए ध्वनी तरंगो का इस्तेमाल कर रही थी |
चिकित्सा जगत में किया जाने लगा प्रयोग / Experiments started in medical world-
युद्ध के बाद डॉक्टरो को लगा की सोनार यंत्र चिकित्सा में भी उपयोग हो सकता है | सबसे पहले सर्जरी में अल्ट्रासाउंड / ultrasound का इस्तेमाल किया गया | पता यह चला की ध्वनी तरंगे गर्म हो सकती है और ऊतको को नष्ट कर सकती है | लिहाजा अल्सर / Ulcer जैसे रोगों के उपचार का रस्ता खुल गया | 1949 में एक रसायनविज्ञानी ने श्वानो में गॉलस्टोन / Gallstone का पता लगाने के लिए इस नई तकनीक का प्रयोग किया | तभी से अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल रोगों का पता लगाने में भी किया जाने लगा | अब ध्वनी तरंगो के टकराने और लौटने के जरीय शरीर के भीतर के अंगो की थाह ली जाने लगी |
भ्रूण किस स्थिति / Fetal position पता लगाने में किया जाने लगा प्रयोग -
1959 में स्कॉटिश प्रसूति विज्ञानी ईयन डोनाल्ड /Ian Donald ने संयोग से एक गर्भवती महिला नई तकनीक का प्रयोग किया | उसने गौर किया की ध्वनी तरंगे भ्रूण से टकराकर लौट रही थी | डॉक्टर गर्भवती महिलाओ पर एक्स-रे का प्रयोग नहीं कर पा रहे थे क्योकि इससे भ्रूण को नुकसान पहुचने का खतरा था | लिहाजा डोनाल्ड की खोज ने नई संभावनाओं के दरवाजे खोल दिए | अब डॉक्टरो को जोखिम भरे गर्भ की निगरानी का नया जरिया मिल गया |
गर्भ में लिंग की पहचान करने में मिली सफलता / Success in identifying gender in womb -
प्रारंभ में इस तकनीक से भ्रूण के लिंग की पहचान की संभावना क्षीण थी, क्योकि शुरुआत की अल्ट्रासाउंड मशीने आज जैसी नहीं थी | 1960 के दशक की मशीने बड़ी जटिल होती थी | एक मॉडल को आर्टिक्युलेटेड आर्म स्कैनर / Articulated arm scanner कहा जाता था जिसका इस्तेमाल डॉक्टर भ्रूण का आकार नापने के लिए करते थे | वे गर्भ में बच्चे के बढ़ने के नारे में तो बता सकती थी , लेकिन उनसे ऊँगली और पंजो को देख पाना भी नामुमकिन था , बेहद छोटे यौन अंगो की पहचान की तो बात ही छोड़ दे | लेकिन कुछ ही वर्षो बाद यह कमी भी पूरी हो गई जब हाई-रिजोल्यूशन अल्ट्रासाउंड मशीने आ गई और दुनिया भर में गर्भ में भ्रूण के लिंग की पहचान में माता-पिता की मदद करने लगी |
Note-गर्भ में लिंग की जांच करवाना क़ानूनी आपराध है | भ्रूण हत्या दण्डनीय अपराध है | ऐसा करने वालो की खिलाफ उचित कारवाई करने का प्रावधान है |
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