संयोग से हुई थी एक्स-रे तकनीक की खोज

संयोग से हुई थी एक्स-रे तकनीक की खोज  ➨


एक्स-रे तकनीकी खोज अचानक ही हुई थी | नवंबर 1895 में जर्मन विज्ञानी विल्हेम रौन्टजन अपनी प्रयोगशाला में निर्वात ट्यूब के साथ कैथोड किरणों का अध्ययन कर रहे थे | अचानक उन्होंने देखा जब-जब इलेक्ट्रॉन बीम को ऑन किया जाता है , तब-तब ट्यूब के पास लगी स्क्रीन चमकने लगती है | उनके लिए यह हैरत की बात है क्योंकि उन्होंने ट्यूब को गहरे काले कार्डबोर्ड से ढक रखा था |

रौन्टजन ने ट्यूब और स्क्रीन के बिच कई चीजो को रखकर देखा , लेकिन ये किरणे उन्हें भी गई | एक हफ्ते के बाद उन्होंने अपनी पत्नी के हाथ का एक्स-रे फोटोग्राफ लिया , जिसमें वेडिंग रिंग पर हड्डियां साफ नजर आ रही थी | ये किरणे मुलायम उतको को तो भेद जाती थी , लेकिन हड्डी के पार नहीं निकल पाती थी |

 इस खोज ने चिकित्सा जगत में क्रांति ला दी क्योंकि इसके पहले तक दुर्घटना या किसी अन्य कारण से लगी , अंदरूनी गंभीर चोटो के इलाज में काफी दिक्कत आती थी , लेकिन एक्स-रे के जरिए इसकी सही पहचान मुमकिन हो गई | इसके लिए रौन्टजन को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया | 1896 में 18 जनवरी को एचएल स्मिथ ने एक्स-रे मशीन का पहला प्रदर्शन किया | 

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