उन्नीसवी सदी में ईजाद हुआ ध्वनी विस्तारक यंत्र

उन्नीसवी सदी में ईजाद हुआ ध्वनी विस्तारक यंत्र ➨


माइक्रोफोन ऐसा यंत्र है , जो ध्वनी को विधुत ऊर्जा में बदलता है , जिसे आखिरकार स्पीकरो के जरीय पुन: ध्वनी तरंगो में बदल दिया जाता है | पहले इनका इस्तेमाल टेलीफ़ोन में होता था | आगे चलकर रेडियो ट्रान्समीटर्स में भी इनका इस्तेमाल होने लगा | वर्ष 1827 में सर चार्ल्स व्हिटस्टोन ने पहली बार " माइक्रोफोन " शब्द का इस्तेमाल किया था |

हालाँकि पहला माइक्रोफोन वर्ष 1876 में एमिले बरलाइनर द्वारा ईजाद किया गया , जिसका इस्तेमाल टेलीफ़ोन  वॉयस ट्रांसमीटर के तौर पर किया जाता था | इसके दो साल बाद यानी 1878 में डेविड एडवर्ड ह्यूजेस ने कार्बन माइक्रोफोन तैयार किया , जिसमे आगे चलकर 1920 के दशक में और सुधार किया गया | रेडियो के अविष्कार के बाद वर्ष 1942 में रिबन माइक्रोफोन के रूप में नए तरह के माइक्रोफोन अस्तित्व में आए | वैसे माइक्रोफोन की दुनिया में क्रांति लाने का काम किया |

 बेल लैबोरेट्रीज से जुड़े जेम्स वेस्ट और गेरार्ड सेसलर ने , जिनको वर्ष 1964 में इलेक्ट्रोएकॉस्टिक ट्रांसड्युसर का पेटेंट मिला था | यह वास्तव में एक एलेक्ट्रेट माइक्रोफोन था , जो आकार में छोटा  व उच्च क्षमता वाला था और इसकी लागत भी काफी कम थी | आज इन्ही माइक्रोफोन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है | 

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