सिरिंज - दवाई को रगों में पहुचाने वाली खोखली सुई➨
सिरिंज शब्द वास्तव में ग्रीक शब्द " सिरिक्स " से आया है , जिसका आशय है - ट्यूब या नलिका | दरअसल पहले सिरिंज के रूप में ट्यूब का ही इस्तेमाल होता था | शरीर के जिस हिस्से में चिकित्सकों को दवाई पहुंचानी होती थी , वहां पहले एक चीरा लगाया जाता था और फिर उसमें ट्यूब डालकर दवाई भेजी जाती थी |
1844 में आयरिश फिजीशियन फ्रांसिस रिंड ने इंजेक्शन के लिहाज से खोखली सुई ईजाद की | इसके बाद वर्ष 1853 में फ्रांसीसी फिजिशियंस चाल्र्स प्रवेज तथास्कॉटिश मूल के अलेक्जेंडर वुड ने तकरीबन एक ही साथ एसी हैपोडर्मिक सिरिंज तैयार की , जिनका व्यवहारिक इस्तेमाल संभव था | धातु की बनी इन सिरिंजो में एक खोखली सुई लगी थी , जो त्वचा के भीतर तक जा सकती थी |
इससे बगेर चिरा लगाए दवा को शरीर के भीतरी हिस्से तक पहुचाना संभव हो गया | इन अविष्कारों के बाद दुनिया के अलग - अलग हिस्सों में धातु व कांच की कई तरह की सिरिंज बनाई गई | वर्ष 1954 में बेक्टन , डिकिसन एंड कंपनी ने पहली बार व्यापक पैमाने पर डिस्पोजेबल सिरिंज का निर्माण किया | इसके एक वर्ष बाद 1955 में रोहर प्रोडक्ट ने पहली प्लास्टिक डिस्पोजेबल सिरिंज तैयार की , जिसे उन्होंने मोनोजेक्ट नाम दिया |
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