जानवर भी मनाते है शौक ,आपनो के बिछुड़ने पर-
वैज्ञनिको ने पता लगाया , पशुओ की कई प्रजातीयो में मानव जैसी भावनाए ➨
हाथी अपने झुण्ड के मृत साथी के शव के साथ कई दिनों तक रहते है |कुत्ते और बिल्ली खाना-पीना छोड़ देते है | बोनोबोज चिम्पंजी चीखते है | मृतक पर पत्थर फेकते है | हताशा में उसकी और अपनी छाती पिटते है | बकरियों , सूअर , बतखो को भी शोक संतप्त देखा गया है | डॉल्फिन मछलियां अपने बच्चो के शव को सामने रख लेती है | जानवर हमारे जैसे सामाजिक प्राणी है | वे मनुष्य के समान ही रिश्ते बनाते है | रिश्ता खत्म होने पर उन्हें इसका अहसाह होता है | विलियम मैरी कॉलेज में मानव शास्त्र की प्रोफेसर बारबरा किंग कहती है , वे हमारी तरह एक-दुसरे से जुड़े है | किंग ने इस विषय पर एक किताब भी लिखी " हाउ एनिमल्स ग्रीव " के नाम से |
कौए भी मानते है शौक -
जानवरों में बात करे तो कौओ जिनके बारे में लोग तरह-तरह की बाते करते है |कौओ के बारे में कोई अच्छी बात नहीं सोचता है | बहुत शोर मचाते है | उन्हें भुत, प्रेत, बीमारियों और अशुभ का संकेत माना जाता है | लेकिन कौए अपने किसी साथी की मौत से हिल जाते है | अगर किसी जगह कौए का शव पड़ा है तो जल्द ही वहां तीन-चार कौए आ जाएंगे | वे ऊपर से निचे उड़ान भरेंगे | ख़ास तरह की आवाज निकालकर कौओ की भीड़ जमा कर लेंगे | खामोश रहकर शव को घेर लेंगे | कुछ तो घास , पतली लकडिया लाकर शव पर रख देते है |
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वन्य जीवन वैज्ञानिक जॉन मर्जलाफ कहते है , लगता है , वे अपने साथी के खोने का दुःख मानते है |
हाथी भी करते है अंतिम संस्कार -
हाथी अपने झुण्ड के मृत साथी के शव के साथ कई दिनों तक रहते है | हाथिओ के झुण्ड द्वारा अपने साथी का अंतिम संस्कार करने और शोक में डूबे रहने के समाचार हमने कई बार पढ़े है |
चीम्पांजी अपने साथी को मरने के बाद कई हफ्तों तो नहीं छोड़ते
चीम्पांजी की बात करे तो, चीम्पांजी भी अपने साथिओ के मरने पर शोक में डूब जाते है | चिम्पांजी माताएं मृत बच्चे के शव को हफ्तों नहीं छोडती है |चिम्पजी , बबुन और बोनोबोज अपने मृत बच्चो के शव सड़ जाने के बाद भी उन्हें साथ लेकर चलते है | गुयान में एक चिंम्पाजी मां 68 दिन तक बच्चे का शव लेकर घुमती रही | ब्रिटिश प्राणी विज्ञानी डगलस हेमिल्टन 2003 में केन्या के एक नेशनल पार्क में एलिनॉर नामक अफ्रीकी हाथी की मौत की घटना, क्योकि एलिनॉर ने छः माह पहले ही एक शावक को जन्म दिया था | बीमारी से पीड़ित एलीनॉर एक अन्य हथिनी ग्रेस की मौजूदगी में गिर गई | ग्रेस चिंघडी | उसने एलीनॉर को उठाने की कोशिश की | अगले दिन एलीनॉर की मौत हो गई | पुरे सप्ताह एलिनॉर का शावक और झुण्ड के अन्य हाथी उसके शव के पास आते रहे | कुछ दिन बाद एलीनॉर के शावक की भी मौत हो गई |
➨मानवो में मृत्यु को हमेशा नकारने की प्रवृति होती है | किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद भी परिवार के सदस्य डॉ. से छाती की मालिश करने और दिल में बिजली के झटके देने पर जोर देते है | जानवरों में यह व्यवहार बंदर प्रजाति के प्राणियों में देखा जाता है |
➨वैज्ञानिको ने पता लगाया इसके लिए जिम्मेदार हार्मोन, जो जानवरों और इंसानों में इस तरह एक-दुसरे से लगाव पैदा करता है | और इनमे रिश्ते बनता है |
➨वैज्ञानिक का निष्कर्ष है की तनाव और मृत्यु से उपजने वाले दुःख के कारण जानवरों पर मानवो में कॉर्टिसोल हारमोन पैदा होता है | कॉर्टिसोल से ऑक्सीटोसिन बनता है | बच्चे के जन्म के बाद ऑक्सीटोसिन माता-पिता में भावनाओं को जगाता है | यह सामाजिक संबंधो को बढाता है | दिमाग के अध्ययन से भी जानवरों के शोकग्रस्त होने के प्रमाण मिले है |
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