भारत में ऊर्जा के सफर ➨


➣  कोलकाता में सबसे पहले 24 जुलाई 1879 में पी. डब्ल्यू. और उनके साथियों ने इलेक्ट्रिक लाइट का नमूना           पेश किया |

➣ मुंबई में इसका प्रदर्शन पहली बार वर्ष 1882 में हुआ था |

 1897 में दार्जिलिंग में पहला हाइड्रो-इलेक्ट्रिक (पनबिजली) पावर प्लांट लगा | यह ऊर्जा विकास की दिशा           में भारत का पहला कदम था | इसकी उत्पादन क्षमता 130 किलोवाट थी |

  1902 में शिमसा ( शिवनासमुद्रा ) कर्नाटक में पनबिजली प्लांट की शुरुआत हुई | इसकी क्षमता 4.5                     मेगावाट  थी , जो कि भारत में उस दौर में सबसे ज्यादा क्षमता वाला प्लांन्ट था | उपरोक्त दोनों पावर प्लांट           एशिया के शुरुआती स्टेशनों में से थे |

 मुंबई में 1905 में ट्राम-वे के लिए बिजली उत्पादक स्टेशन लगाया गया |

  1910 में भारतीय उर्जा क्षेत्र को संचालित करने के लिए पहला इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 1910 आया |

 1925 में पहली बार मुंबई के विक्टोरिया टर्मिनस से कुर्ला के बीच इलेक्ट्रिक ट्रेन दोड़ी |

➣ आजादी मिलने की वक्त भारत में बिजली की स्थापित क्षमता महज 1363.265 मेगावाट थी |

 1947 में बिजली से जुड़े गांवों की संख्या 1500 और कृषि में काम आने वाले बिजलीकृत  पम्पो की संख्या             6500 थी | प्रति व्यक्ति उपभोग 16 यूनिट था |

 ➣ 1948 में इलेक्ट्रिसिटी ( सप्लाई ) एक्ट आया , लेकिन लक्ष्य प्राप्ति में नाकाम रहा | बाद में सरकार ने                    बिजली  उत्पादन के लिए सभी राज्यों में राज्य विद्युत बोर्ड बनाया |

 ➣ बिजली उत्पादन को बढ़ाने के लिए 1969 में रूलर इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन और 1975 में एनटीपीसी की              स्थापना हुई |

 भारत के पहले परमाणु बिजली घर के विकास की शुरुआत वर्ष 1964 के दौरान हुई |

➣ 1969 में देश के पहले परमाणु बिजली घर तारापुर एटॉमिक पावर स्टेशन ने  कार्य करना शुरू किया |

 ➣ 1971 में पहले हैवी  पॉटर रिएक्टर की स्थापना हुई |

 ➣ भारत में 20 न्यूक्लियर रिएक्टर कार्यशील है | प्रत्येक की उत्पादन क्षमता 100 से 540 मेगावॉट की बीच है |

 ➣ पहला पवन ऊर्जा प्लांट वर्ष 1986 में गुजरात में लगाया गया |

 ➣ पवन ऊर्जा विकास में 1990 के दशक में तेजी आई | उदारीकरण का लाभ भी पवन ऊर्जा को मिला |                  डेनमार्क और अमेरिका इस क्षेत्र में सबसे पुराने खिलाड़ी माने जाते हैं | आज भारत इस क्षेत्र की ऊर्जा के               उत्पादन में पांचवें स्थान पर है |

 ➣ 2001-02 में पहली बार भारत ने पावर ब्लैक आउट ( बिजली फेल ) का सामना किया था |

➣  2003 इलेक्ट्रिसिटी एक्ट ने ओवरआल पॉवर सेक्टर में थोड़ा सुधार किया | निजी निवेश को भी वास्तविक            रूप से ज्यादा व्यवहारिक अनुमति मिली और उत्पादन शुरू हुआ |

➣  सौर ऊर्जा में गुजरात ने काफी बढ़िया काम किया है | यहां चरणका गांव में एशिया का सबसे बड़ा सौर                पार्क स्थापित है | इसकी स्थापित क्षमता 690 मेगावाट है |

 ➣ गुजरात के बाद राजस्थान सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी संभावना है | ओड़ीसा में 2014 तक 3000 गांव को               सौर  ऊर्जा से रोशन करने की योजना है |

 ➣ 30-31 जुलाई 2012 को भारत में लगातार दो दिन ब्लैक आउट हुआ |