ठोस , द्रव और गैस से भी आगे की अवस्था➨


द्रव्य की अमूमन तीन अवस्थाए - ठोस , द्रव व गैस ही मानी जाती है , लेकिन एक चौथी भी है , जिसे " प्लाज्मा " कहते है | इस अवस्था में पदार्थ ॠणावेशीत इलेक्ट्रौनो , धनावेशित आयनों तथा परमाणुओं व अणुओ से निर्मित विधुत चालक माध्यम के रूप में व्यवहार करता है |

यह गैस अवस्था से आगे की अवस्था है , जिसमे आवेशित तथा अनावेशित कणों का मिश्रण पाया जाता है | लेकिन जहां कोई पदार्थ गैसीय अवस्था में विधुत का कुचालक होता है , वही प्लाज्मा अवस्था में वह विधुत का सुचालक होता है |  " प्लाज्मा " शब्द का पहली बार प्रयोग वर्ष 1923 में इरविन लैंगमुर नामक भौतिकशास्त्री ने किया था |

बाद में 1929 में लैगमुरव लेवी ने इस शब्द का प्रयोग उन क्षेत्रो के लिए किया , जिनमे ॠणावेशीत  " इलेक्ट्रोन " का दोलन होता है | जब किसी पदार्थ को लगातार गर्म किया जाता है तो वह पहले ठोस से द्रव में और उसके बाद में गैस से प्लाज्मा अवस्था में पहुच जाता है | ब्रह्मांड में मौजूद अधिकांश तारो में पदार्थ प्रया: इसी अवस्था में होते है | नियौन संकेतक व फ्लोरेसेंट ट्यूब द्वारा उत्पन्न प्रकाश तथा " वेल्डिंग आर्क " कृत्रिम रूप से उत्पन्न के ही उदहारण है |