पाश्चुरिकरण का प्रथम परिक्षण कैसे हुआ ➨
पाश्चुरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है , जिसमें किसी भोज्य पदार्थ ( अमूमन तरल ) को एक खास तापमान पर निर्धारित समय के लिए गर्म करने के बाद तुरंत ठंडा कर लिया जाता है , जिससे इसमें मौजूद सूक्ष्म जीवाणु निष्क्रय हो जाते हैं | इसके चलते इसे लंबे समय तक संरक्षित रखना संभव हो जाता है |
इस प्रक्रिया को ईजाद करने का श्रेय फ्रांसीसी केमिस्ट व माइक्रोबायोलॉजिस्ट लुई पाश्चर को जाता है , जिनके नाम पर ही इसका नाम पाश्चुरीकरण पड़ा | वर्ष 1862 में 20 अप्रैल को लुई पाश्चर व क्लौड बर्नार्ड ने इस प्रक्रिया का प्रथम परीक्षण किया था | इसे मूलतः वाइन व बीयर जैसे मध पदार्थों को जल्द खराब होने से बचाने के लिए ईजाद किया था | बाद में इसका इस्तेमाल दुग्ध पदार्थों के संरक्षण में भी होने लगा |
दूध को पाश्चुरिकृत करने का सबसे पहला ख्याल वर्ष 1886 में जर्मन कृषि रसायन शास्त्र फ्रांज वॉन सौक्सलेत के मन में आया | उच्च तापमान व कम समय में पाश्चुरीकृत किए गए दूध को रेफ्रिजरेटर में 2 से 3 हफ्ते तक संरक्षित रखा जा सकता है , वहीं अल्ट्रा पाश्चुरिकृत दूध दो-तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है |
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box