उन्नीसवी सदी के मध्यकालीन में अचानक हुई खोज➨
ड्राय क्लीनिंग की परम्परा सदियों पुरानी है | प्राचीन रोमन लोग कपड़ो को साफ करने के लिए अमोनिया और " फुलर्स अर्थ " नामक एक खास तरह की मिटटी का इस्तेमाल करते थे | हालंकि आधुनिक ड्राय क्लीनिंग की बात करे तो इसकी खोज उन्नीसवी सदी के मध्य में अचानक ही हुई थी | वर्ष 1849 में फ्रेंच रंगरेग ज्याँ बापिस्ते जौली की नौकरी ने साफ-सफाई के दौरान एक दिन टेबल क्लॉथ पर तारपीन का तेल गिरा दिया |
बाद में ज्यां ने देखा की जिस हिस्से पर तारपीन का तेल गिरा था , वह ज्यादा साथ है | उन्हें इसमें कारोबारी संभावनाए नजर आई और उन्होंने आपनी ड्राय क्लीनिंग इकाई शुरू कर दी | शुरुआत में ड्राय क्लीनर्स गैसोलीन ( पेट्रोल ) व केरोसिन जैसे सौल्वेंट्स का इस्तेमाल करते थे | प्रथम विश्वयुद्ध के बाद क्लोरीनिकृत सौल्वेंट्स का इस्तेमाल होने लगा ,
जो पेट्रोलियम सौल्वेंट्स के मुकाबले काफी हद तक कम प्रज्वलनशील थे और पाउडर के रूप में उपलब्ध हो सकते थे | 1930 के दशक के मध्य तक ड्राय क्लीनिंग इंडस्ट्री ने टेट्राक्लोरोएथिलिन ( परक्लोरोएथिलिन ) को आदर्श सौल्वेंट के तौर पर अपना लिया | " पर्क " के नाम से विख्यात यह सौल्वेंट बेहतरीन क्लीनिंग पाउडर के रूप में उपलब्ध था , जो ज्यदातर कपड़ो के लिए नुकसानदेह नहीं था |
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box